Judate Akshar
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हौसला आम आदमी का —
डरते डरते प्रवेश किया था मनोज ने उस आलिशान इमारत के अंदर । सुसज्जित कक्षाएं , हाई टेक वातावरण..सभी कुछ व्यवस्थित । ‘यहाँ मेरे विनय का भविष्य अवश्य बन जाएगा। ‘ आश्वस्त हो मनोज ने पुराने फ़टे हुए बैग से साल भर से पेट काट काट कर जोड़े हुए पैसे काउंटर में जमा कर दिए। शहर के सबसे बड़े स्कूल में अपने बेटे का दाखिला करा वो यूँ महसूस कर रहा था मानो बहुत बड़ी जंग जीत आया हो ।
बाजार से सब्जी ले घर पहुंच कर झोला पत्नी को थमा दिया उसनें । ” फिर टमाटर और प्याज नही लाये आप..” पत्नी झुंझला उठी थी । “अरे भागवान बेटे का एडमिशन बड़े स्कुल में कराना और रोज रोज टमाटर प्याज खाना .. बड़ा हौसला चाहिए हम मध्यमवर्गीय लोगों के लिए ।” कहते कहते मनोज ने चेहरे पर उभर आये दर्द को हँसी से छुपा लिया ।
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