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सफेद खून –(लघुकथा)

Judate Akshar
Judate Akshar
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“एक कोख से जन्मे हो तुम दोनों ,एक खून फिर भी इतनी नफरत अच्छी नही अपनें भाई से ..। ” अम्मा खांसते खांसते दोहरी हुई जा रही थी ।

“तुम्हारी इस हालत का जिम्मेदार रवि ही है । स्वार्थी कहीं का .. अपनी माँ की देखभाल इसे बोझ लगती है । और माँ तुम सुन लो अब हम एक खून नही है। इसका खून सफेद पड़ चूका है । अब तुम यहाँ नही रहोगी..। ” घृणा और रोष से थरथराती हुई सुषमा ने अम्मा का हाथ पकड़ घर से निकल पड़ी ।

माँ की हज़ारों की पेंशन हाथ से निकल जाने के मलाल से रवि का चेहरा सफ़ेद पड़ गया था । दूसरी ओर कई वर्षो का प्रयास फलीभूत हो गया था सुषमा का । अब माँ की पेशन की वो उत्तराधिकारी जो थी ।

सुधीर

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